गुरुवार, 13 जनवरी 2011

सरकार तुम्हारी आंखों में...

सचमुच सरकार की आंखें बड़ी खूबसूरत है। बिल्लौरी जैसी आंखें-कंचे जैसी बड़ी-बड़ी आंखें-चमक ऐसी की हर किसी का दिल धड़क उठे। यही वजह है कि हम जैसे आशिक उसके दीवाने बने घूमते हैं। बात-बात में सरकार की आंखों में झांक कर देखने की हसरत बनी रहती है।
खासतौर से इस हाड़ कंपाने वाली ठंडक में उसकी आंखों में अंगारे दहकते हुए दिखाई देते हैं जिसे मैं फटी कथरी पर लेट और किसी मेहरबान द्वारा बाटें गए कम्बल में से एक अदद अपने ठंडे शरीर पर डाले आंखों के उन अंगारो को देख-देख कर बहुत तो नहीं थोड़ी गर्मी जरूर महसूस कर रहा हूँ। सोच रहा हूँ, अपने दायरे में कि सरकार तुम्हारी आँखों में दहकते हुए अंगारे काश सीधे मुझ पर पड़ते तो मेरे जैसे फटेहाल आशिक क्यों जगह-जगह अलाव जलाने के लिए चीखते-चिल्लाते?